धान की कटाई से पहले किसानों को करनी चाहिए ये जरूरी तैयारी, वैज्ञानिकों की अहम सलाह
धान की कटाई से पहले किसान इन जरूरी कदमों का पालन करें। वैज्ञानिकों की सलाह से फसल की गुणवत्ता में सुधार करें और पराली जलाने से बचें। जानें धान की कटाई से पहले की जरूरी बातें।
धान की कटाई से पहले किसानों को करनी चाहिए ये जरूरी तैयारी, वैज्ञानिकों की अहम सलाह
खरीफ फसल के अंतर्गत धान की कटाई का सीजन शुरू होने वाला है। इस महत्वपूर्ण समय में, किसानों के फायदे के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा के वैज्ञानिकों ने कुछ अहम सलाह जारी की है। इन निर्देशों का पालन कर किसान अपनी फसल से बेहतर उत्पादन और मुनाफा सुनिश्चित कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि धान की कटाई से पहले किसानों को कौन से कदम उठाने चाहिए ताकि उनकी मेहनत बेकार न जाए और नुकसान से बचा जा सके।
धान की कटाई से पहले इन बातों का ध्यान रखें
पूसा के वैज्ञानिकों ने मौसम और धान की पकती हुई फसल को ध्यान में रखते हुए किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं:
सिचाई बंद करें: फसल की कटाई से दो सप्ताह पहले धान के खेतों में सिचाई बंद कर दें। यह सुनिश्चित करेगा कि फसल में नमी का संतुलन सही हो।
कटाई के बाद फसल सुखाएं: धान की कटाई के बाद, फसल को 2-3 दिन तक खेत में सुखाएं और फिर गहाई करें। यह अनाज को सही स्थिति में लाने के लिए जरूरी है।
अनाज का भंडारण: कटाई के बाद, धान के दानों को धूप में अच्छी तरह से सूखा लें। भंडारण से पहले भंडार घर की सफाई करें ताकि अनाज सुरक्षित रहे और किसी तरह की बीमारी या कीट संक्रमण का खतरा न हो।
पराली को लेकर वैज्ञानिकों की सलाह
धान की कटाई के बाद खेत में बची हुई पराली का सही तरीके से निपटान भी जरूरी है। वैज्ञानिकों ने पराली जलाने से बचने की सलाह दी है, क्योंकि इससे प्रदूषण बढ़ता है, जो स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
पराली न जलाएं: पराली जलाने से वातावरण में धुंध बढ़ती है, जो प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया को प्रभावित करती है, जिससे फसलों की उत्पादकता पर बुरा असर पड़ता है।
पराली का सही निपटान: पराली को खेत में ही मिट्टी में मिला दें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और मिट्टी की नमी संरक्षित रहेगी। पराली से बनी पलवार (Mulch) मिट्टी को नमी प्रदान करने में मदद करती है।
पूसा डीकंपोजर का उपयोग: पराली को जल्दी सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए 4 कैप्सूल प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मृदा की गुणवत्ता में सुधार होगा और फसल के लिए लाभकारी पोषक तत्व मिलेंगे।
वैज्ञानिकों द्वारा जारी इन सलाहों का पालन कर किसान धान की फसल का उचित लाभ उठा सकते हैं और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। सही समय पर सिचाई बंद करने, फसल को सूखाने, और पराली के सही निपटान से न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि भविष्य की खेती के लिए भी जमीन तैयार रहेगी।